Friday, May 29, 2015

Himmat aur Zindagi

हिम्मत और ज़िन्दगी

- रामधारी सिंह 'दिनकर'

ज़िन्दगी के असली मज़े उनके लिए नही हैं जो फूलों की छाँव में सोते हैं. बल्कि फूलों की छाँव के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद छिपा है तो वह भी उन्ही के लिए है जो दूर रेगिस्तान से आ रहे हैं जिनका कंठ सूखा हुआ, होंठ फटे हुए और सारा बदन पसीने से तर है. पानी में जो अमृत वाला तत्व है, उसे वह जानता है जो धूप में खूब सूख चूका है, वह नही जो रेगिस्तान में कभी पड़ा ही नहीं है.

सुख देने वाली चीज़ें पहले भी थीं और अब भी हैं. फर्क यह है कि जो सुखों का मूल्य पहले चुकाते हैं और उनके मज़े बाद में लेते हैं उन्हें स्वाद अधिक मिलता है. जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है, उनके लिए आराम ही मौत है.
जो लोग पाँव भीगने के खौफ से पानी से बचते रहते हैं, समुन्द्र में डूब जाने का ख़तरा उन्ही के लिए है. लहरों में तैरने का जिन्हे अभ्यास है वो मोती ले कर बाहर आयेँगे.
चाँदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद वह मनुष्य लेता है जो दिनभर धूप में थक कर लौटा है, जिसके शरीर को अब तरलाई की ज़रुरत महसूस होती है और जिसका मन यह जानकार संतुष्ट है कि दिन भर का समय उसने किसी अच्छे काम में लगाया है.
इसके विपरीत वह आदमी भी है जो दिन भर खिड़कियाँ बंद करके पंखों के नीचे छिपा हुआ था और अब रात में उसकी सेज बाहर चाँदनी में लगायी गयी है. भ्रम तो शायद उसे भी होता होगा कि वह चाँदनी के मज़े ले रहा है, लेकिन सच पूछिये तो वह खुशबूदार फूलों के रस में रात दिन सड़ रहा है.

उपवास और संयम ये आत्महत्या के साधन नही हैं. भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह सकता है. 'त्यक्तेन भुंजीथाः', जीवन का भोग त्याग से करो, ये केवल परमार्थ का उपदेश नही है, क्योंकि सयम से भोग करने पर जीवन से जो आनद प्राप्त होता है, वह नीरा भोगी बनकर भोगने से नही मिल पाता।

बड़ी चीज़ें बड़े संकटों में विकास पाती हैं, बड़ी हस्तियां बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्ज़ा करती हैं. अकबर ने तेरह साल की उम्र में अपने बाप के दुश्मन को परास्त कर दिया था जिसका एक मात्र कारण यह था कि अकबर का जन्म रेगिस्तान में हुआ था, और वह भी उस समय, जब उसके बाप के पास एक कस्तूरी को छोड़ के और कोई दौलत नही थी .
महाभारत में  देश के प्रायः अधिकाँश वीर कौरवों के पक्ष में थे. मगर फिर भी जीत पांडवों की हुई; क्योंकि उन्होंने लाक्षागृह की मुसीबत झेली थी, क्योंकि उन्होंने वनवास के जोखिम को पार किया था.

श्री विंस्टन चर्चिल ने कहा है कि ज़िन्दगी कि सबसे बड़ी सिफ़्फ़त हिम्मत है. आदमी के और सारे गुण उसके हिम्मती होने से ही पैदा होते हैं.

ज़िन्दगी की दो सूरते हैं. एक तो यह की आदमी बड़े से बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाये, और अगर असफलताएं कदम - कदम पर जोश की रौशनी के साथ अंधियाली का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाये।
दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और न ही जिन्हे बहुत अधिक दुःख पाने का ही संयोग है, क्योंकि वे आत्माएं ऐसी गोधूलि में बसती हैं जहां न तो जीत हंसती है और न ही कभी हार के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बंधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वे ज़िन्दगी के साथ जुआ नही खेल सकते। और कौन कहता है कि पूरी ज़िन्दगी को दांव पे लगा देने में कोई आनंद नही है?
अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा है तो फिर असली मज़ा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही है.

साहस की ज़िन्दगी सबसे बड़ी ज़िन्दगी होती है. ऐसी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि यह बिलकुल निडर, बिलकुल बेख़ौफ़ होती है. साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नही करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं. जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है. अड़ोस - पड़ोस को देख कर चलना, यह साधारण जीव का काम है. क्रान्ति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पडोसी के उद्देश्य से करते हैं और न ही अपनी चाल को ही पडोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं.

साहसी मनुष्य उन सपनोँ मेँ भी रस लेता है, जिन सपनो का कोई  व्यावहारिक अर्थ नहीँ है.
साहसी मनुष्य सपने उधार नहीँ लेता, वह अपने विचारोँ में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है.
झुण्ड मेँ चलना और झुण्ड मेँ चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है. सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मगन रहता है.
अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा है की जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, ज़िन्दगी की चुनौती को कबूल नहीं कर सका, वह सुखी नही हो सकता। बड़े मौके पर साहस नहीं दिखाने वाला आदमी बराबर अपनी आत्मा के भीतर एक आवाज़ सुनता रहता है, एक ऐसी आवाज़ जिसे वही सुन सकता है और जिसे वह रोक भी नही सकता। यह आवाज़ उसे बराबर कचोटती रहती है, "तुम साहस नही दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए."
सांसारिक अर्थ में जिसे हम सुख कहते हैं, उसका न मिलना, फिर भी, इससे कहीं श्रेष्ठ है कि मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह धिक्कार सुनें कि तुम में हिम्मत की कमी थी, कि तुम में साहस का अभाव था, कि तुम ठीक वक्त पर ज़िन्दगी से भाग खड़े हुए.
ज़िन्दगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम झेलना है और जो आदमी सकुशल जीने के लिए जोखिम का हर जगह पर एक घेरा डालता है, वह अंततः अपने ही घेरों के बीच कैद हो जाता है और ज़िन्दगी का कोई मज़ा उसे नहीं मिल पाता, क्योंकि जोखिम से बचने की कोशिश में, असल में, उसने ज़िन्दगी को ही आने में रोक रखा है.
ज़िन्दगी से, अंत में, हम उतना ही पाते हैं जितनी कि उसमें पूंजी लगाते हैं. यह पूंजी लगाना  ज़िन्दगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं, कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं.
ज़िन्दगी का भेद कुछ उसे ही मालुम है जो यह जानकार चलता है कि ज़िन्दगी कभी भी ख़त्म न होने वाली चीज़ है.

अरे! ओ जीवन के साधकों! अगर किनारे की मरी हुई सीपियों से  ही तुम्हे संतोष हो जाये तो समुन्द्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक कोष को कौन बाहर लाएगा?
दुनिया में जितने भी मज़े बिखेरे गए हैं उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है. वह चीज़ भी तुम्हारी हो सकती है जिसे तुम अपनी पहुँच के पार मान कर लौटे जा रहे हो.
कामना का आँचल छोटा मत करो, ज़िन्दगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाये भी बह सकती है.

यह अरण्य झुरमुट जो काटे अपनी राह बना ले,
क्रीतदास यह नहीं किसी का जो चाहे अपना ले.
जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर! जो उससे डरते हैं.
वह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर लड़ते हैं.

Thursday, April 16, 2015

Save The Daughter!

बेटी बचाओ


A translation to my cousin Ritin's Haryanvi poem.
Considering how severe the problem of female infanticide has become in my home state.


She's a daughter to someone, somebody's lover,

Someone's wife, somebody's sister
She protects everyone, her own sufferings not withstanding,

Save the Daughter you imbecile creature! 
Daughters are the real source of all earnings.


(i.e. She is the most invaluable treasure)


Original


कित बेटी, कित लुगाई होवे,

कित बीवी, कित भरजाई होवे,
सबने बचाये जित भी खायी होवे,

बेटी बचा रे बौले!
बेटी गैल्लां ई कमाई होवे.


PS: Ignore any 'lost in translation' effect. Bhavnaayon ko samjho!

Tuesday, July 23, 2013

Mundian To Bach ke - Panjabi MC

This song is a fusion of bhangra and hip-hop. One of the most popular songs sung by Panjabi MC (real name - Rajinder Singh), it became an underground hit on the internet. Your mind will make your body dance automatically to the mind-blowing beats :)



Neewin aakh gunj cheer paa ke rakh le, palle wich mukhda luka ke rakh le
Neewin aakh gunj cheer paa ke rakh le, palle wich mukhda luka ke rakh le
[ Keep your eyes down, hair combed and hide your face in a pallu (scarf) ]

Aiwen karin na kise de naal pyar, mundian to bach ke rahin
Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin
Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin
[ Don't love just any random guy, beware of boys
  You have just blossomed, beware of boys.
Mutiyar in punjabi is a girl who has recently reached her puberty. ]

Tera ki kasur je nashile nain ho gaye, sikh ke adawaan sharmile nain ho gaye
Tera ki kasur je nashile nain ho gaye, sikh ke adawaan sharmile nain ho gaye
[ It's not your fault that your eyes have turned seductive
  and after learning adaa (playfulness) they've turned shy ]

Saamb ke rakh ne a jovani pitari, Saamb ke rakh ne a jovani pitari
hun mudd ke ne aani a bahar mundian to bach ke rahin
[ look after this pitari (box) of your youth,
 this spring won't return again, beware of boys]

Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin
Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin

Chadadi jawani tera roop thatha marda, patla jeya lak na hulara vi saharda
Chadadi jawani tera roop thatha marda, patla jeya lak na hulara vi saharda
[ Your looks and beauty are loud like a swollen river and attract everyone's attention ,
  your thin waist bears such adorable swings! ]

Gora gora rang utton mirgan di tor, Gora gora rang utton mirgan de tor
na teri jai soni koi naar mundian to bach ke rahin
[fair color on top of hiran ki chaal (walking style of a deer)
 not seen a lady as beautiful as you, beware of boys ]

Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin
Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin

mundian de bullan utte teriyan kahaniya, channi ni ta khanne diyan galiyan nashyania.
yovana de bullan utte teriyan kahaniya, channi ni ta khanne diyan galiyan nashyania.
[ your stories are on every boy's lips, even the streets are full of your lips ]

Janjua te hoya tere roop da diwana, Janjua te hoya tere roop da diwana,
chal sakya na hussan da vaar mundian to bach ke rahin
[ Janjua has just completely gone mad about you,
  don't simply drown in so much attention, beware of boys ]

Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin
Ni tu hune hune hoi mutiyar mundian to bach ke rahin

Translation available on the Panjabi MC official website:
[ Keep your face down and hide it with a scarf
 Don't just give your love to anyone
 CHORUS
 Be careful of the boys
 You've only just grown up
 It's not your fault that you've got beautiful eyes
 Once you've realized this you will become shy
 Look after your youth
 This time won't come again
 CHORUS
 As you are growing up people are becoming aware of your good looks
 Everyone is looking at your thin waist
 There's no one like you
 CHORUS
 The boys are talking about you everyday
 The streets are full of stories about your looks
 Don't let the attention drown you
 CHORUS ]

Some interesting trivia about this song - The awesome bassline has been adopted from the television show knightrider. But if you listen to the original theme song, this is actually way better. It is like mixing two good things and creating something that's masterly. The song was also adopted by the Bollywood movie Boom.

Sunday, June 23, 2013

Blast from the past

Sometimes, you long for your sweet moments from the past. No good can ever come out of crying about the past. But I think it is a good idea to remember the good part.

So here's to the good part :)




Saturday, July 7, 2012

Felicity '12 Talent Showcase

As is the case with most 3rd year students, I was too damn busy during Felicity '11 to participate and enjoy. And as is the case with most final year students, my final Felicity turned out to be the most enjoyable and memorable one.

For someone who may not be aware - Felicity is the annual techo-cult fest of IIIT-H. It's a full 3-day fest that brings something for everyone on the table.

The 1st event that I tried my hands on was Rappelling. Although I had done Rappelling before once, but coming down from the hostel roof of your own College is something straight out of Action Flicks ;-) And that's exactly what we did! Two of my good friends - Mohit and Majid were part of the organizing team. They did a marvellous job :-)
After that, we participated in facade and like always I was the guinea pig for H Zade and Anusha M to experiment on. Well on this 3rd try, the experiment was indeed fruitful and we bagged the 2nd prize.


Facade - Face Painting event.


Those were three eventful days - participating in a lot of events and winning so many of them. One such event worth mention is spin the yarn in which our team of 'Awesome Roomies' (me and Mohak) was the winner.

Coming to the thing I wrote this post for - the Talent Showcase. It's a multi-round personality contest of Felicity with a tradition of the final one (Stage Round) being held on the last night.
It was not the 1st time I participated in it. I had tried my hands on this thing earlier in my 1st year. At that time it was known as MnM - Mr. and Miss Felicity. Participating again in MnM was not exactly pre-decided. But when I was approached for filling out the participation form, I thought - Why not?






Video Description : Stage act for Talent Showcase at Felicity '12. a.k.a - MnM (Mr. and Miss Felicity)
Inspired by Mr. Bean's Picnic. Original performance (by Rowan Atkinson) : link
I prepared for this act in four hours flat. More time was spent in preparing the soundtrack than practicing.

I felt deep happiness through being able to entertain so many people at once. Many times I feel it is important to be able to think and act like a child. Because a child knows how to be happy and make others happy better than the grown ups. Thus I wish deep from my heart :

May the child within me never die.

Tuesday, March 27, 2012

Two to Tango 2009

"Some people have been thought brave because they were afraid to run away."
~ Thomas Fuller

The responsibility of being a cult-representative was already too much to bear for me. With just 1-2 days left for the upcoming Two2Tango and a previous year's winning title to defend, our performance was not even finalized as of yet. Things were getting too much complex for me and I had seriously considered to not participate that year. But Thomas Fuller's above quote describes my state of mind aptly.
Ultimately, our performance did happen - and so did our winning :-)






Video Description:
Presenting you with yet another winning performance. But as u know it takes 2 to Tango ...
Me and Shantanu in a bone tickling mime act at our College Two-2-Tango competition


One thing is quite evident - I couldn't have found a better partner than Shantanu to set the stage ablaze!
I do confess that both of us were quite skeptical about our act. But two things always help you in such situations - paying attention to minute details and going with the flow.
Although we were declared the winners that year, But the performers who won our hearts were "Prahal and Supriya". Their Tumhe jo maine dekha dance was choreographed by Zade (H). The entire performance was executed riding on a pair of roller skates and the couple was a treat to watch.

Talking about treat, we did have a post-winning celebration and a pizza treat after the show was over. :-)